Monday 25 April 2016

अन्दर से सब खोखले हैं ?

अन्दर से सब खोखले हैं ?

रिश्तों में बढ़ती स्वार्थ की भावना उनके जीवन काल को कम करती जा रही है।
हम आज किसी से दोस्ती या जान पहचान बढ़ाते हैं,तो पहले ये देखते हैं कि वो व्यक्ति हमारे कितना काम आ सकता है,जैसे अमूमन शादी के आने वाले न्योतों में से हम आज कल उन आमंत्रणों को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं,जिनसे हमें ज्यादा फायेदा हो सकता है,बल्कि इस बात के कि कौन-सा व्यक्ति हमें ज्यादा प्यार,सम्मान और अपनेपन के साथ बुला रहा है।
कहते हैं कि दोस्ती इस दुनिया में सबसे गजब रिश्ता होता है,जोकि खून का न होकर भी खून से ज्यादा बढकर होता है,चाहे हमारे अपने हमारा साथ छोड़ दें पर दोस्त हमेशा हमारे साथ खड़ा होता है।पर ये बातें भी अब बीते ज़माने की हो गए हैं,और आज बेमानी लगती है,बचपन में हम अपने दोस्त या सबसे अच्छे दोस्त “best friend” के लिए कुछ भी कर सकने को हमेशा तैयार रहते थे,और वो दोस्त हमेशा हमारा  दोस्त ही रहता था,पर अब जब हम बड़े हो गए तो दोस्ती स्वार्थ में फसकर सिर्फ काम पड़ने पर जोर-शोर से जो सिर्फ जान पहचान होती है,वो दोस्ती का आवरण बनकर काम पूरा होने तक दिखती है और उसके बाद ख़त्म हो जाती है।आज कल दोस्ती भी मोबाइल प्लान की तरह है,जो मार्केट में आता तो बड़े जोर शोर से है,पर कब पतझड़ के मौसम की तरह चला जाता है पता ही नही चलता।

आज कल दोस्त साल के मौसम की तरह बदलते हैं,आज गर्मी है तो कूलर की ज़रूरत की तरह,बरसात है तो छाते की तरह,और ठण्ड है तो किसी कम्बल की तरह,ज़रूरत के हिसाब से दोस्ती की प्राथमिकता और परिभाषा बदलती रहती है।आप ही याद कर लीजिये की आप जब हर रोज़ किसी से मिलते हैं तो मुस्कुरा कर हाँथ मिलाते हैं पर वो मुस्कराहट आपके चेहरे पर कितनी देर रहती है या उससे मिलने की ख़ुशी क्या आपको वाकई दिली तौर पर हुई थी या वो मुस्कराहट जो आपके चेहरे पर उससे मिलते समय आई थी उस व्यक्ति के सामने से हटते ही गायब हो जाती है।ये कुछ ऐसी चीजें हैं,जो रोज़ हमारे साथ होती हैं,पर हम सब इससे अनजान बनकर रह रहे हैं इस बीमारी से दिन-ब-दिन घिरते जा रहे हैं,पर इलाज़ क्या है इसको ढूंढने की कोशिश नहीं कर रहे हैं,हर रोज़ सिर्फ रिश्तों में मिठास दिखाने के लिए शेकरीन तो डाल रहे हैं पर ये भूल जाते हैं कि असली मिठास जो अपनेपन की शक्कर से आती है वह किसी और चीज़ से नहीं आ सकती।पल भर के दिखावे की मिठास सिर्फ रिश्तों में कडवाहट को बढावा देती है, दिल की आत्मीयता से बने रिश्ते ता-ज़िन्दगी खुशियों के पल बनकर सुकून देते रहते हैं।बस ज़रूरत है,रिश्तों को दिखावे की जगह दिल से अपनाने की।