Thursday 17 October 2019

सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये...........😍😍😍

सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये...........😍😍😍

सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये,
और उस आसमाँ के चाँद को मेरे चाँद का दीदार हो जाये,
सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये.....
मेरे नाम की हिना को जो तुमने अपने हांथों में जगह दी है,
इल्तिज़ा है मेरी की उस मेहंदी का रंग आज और भी गहरा हो जाये,
सिर्फ मैं दीदार कर सकूं उसका,बैठा हूँ इस इंतेज़ार में,और 
सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये.....
ये जो आंखें तुम्हारी,और इन आँखों पर जो काजल को जो तुमने सजा रखा है,
सोचता हूँ कि इस काजल से क्यों न आज गहरी रात हो जाये,
और वो रात मेरी,तेरे पहलू में गुजर जाए, हूँ इसी जुस्तजू में, और
सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये.....
ये जो पलके तुम्हारी इन नशीली निगाहों पर पहरा देती है,
मेरे दौड़ते वक्तल
आज फिर इन निगाहों को निगाहों से क्यों न बात करने दी जाए,
न इक शब्द हो गुंजित,सिर्फ इशारों ही इशारों में सारी बात हो जाये,
सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये.....
वाबस्ता है हम-तुम,तुम-हम एक दूजे से,
चाहे आये मौसम ये पतझड़ के हमारे बीच या गिले शिकवे कुछ आम जो जाए,
मैं हूँ सिर्फ तुम्हारा ये एलान करता हूँ मैं,
चाहे छपवा दो अखबार में ,कल से चाहे बदनामी सारे आम हो जाये,
सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये.....
"करवा" की ये शाम कितनी हसीन है,
नूर है तू मेरी, मेरे दिल का,मेरा दिल तेरा असीर है,
मिलकर बैठकर कुछ रूठना मानना हो जाय,
सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये.....
सात वचन को पुनः जीवन्त कर ले आज,
और पुनर्जीवित  वो विवाह की पावन शाम हो जाए,
सांची प्रीत की रीत हम यूं ही निभाते जाए,
क्यूँ न उम्र भर का वादा आज इक दूजे से हम कर जाए,
मेरा दिल सिर्फ तेरा,सिर्फ तेरा हमेशा के लिए तलबगार हो जाये,
चांद रोशन हो आसमाँ में आज और मुझे तुझसे आज फिर प्यार हो जाये,
और इसी अदद लम्हे को जीने की चाहत में,
सोचता हूँ की आज कुछ जल्दी शाम हो जाये।

Sunday 6 October 2019

जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है………………..

जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है……

जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है………………..
कि मारी इक छलाँग इस कोशिश में की,
कि पूरा करूँ हर उस हसरत को,
जिनके अरमां बहुत है पाले,इन आँखों में,
जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है,
हर उस कद,हद और सरहद के पार जाना है,
जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है,
कोशिश है मेरी,हर उस मुकाम को हासिल करना है,
जिनके अरमां बहुत है पाले,इन आँखों में,
जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है………………..
आंखों की नमी गवाह है,हर उस अरमाँ की,
जिसे पाने की जुस्तजू और जज्बा बना रखा है,
जिनके अरमां बहुत है पाले,इन आँखों में,
जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है………………..
हर हालातों,मुश्किलातों पर पार पाना है,
है सिर्फ जीत क्या अब ये मैंने जाना है,
आंसू बन गए है मोती,जिनके संघर्ष की चमक से,
उनसे करना है जग को रौशन अब ये मैंने ठाना है,
महसूस करना है हर इक पल को,जीना है हर आने वाले कल को,
जिनके अरमां बहुत है पाले,इन आँखों में,
जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है………………..
रोना है क्या? छोड़ो-छाडो यारों ये सब,
सिर्फ हंसना और मुस्कुराना ही फलसफा है,
इस जिंदगी का अब ये मैने जाना हैं,
रुकता नही कोई दौर हर वक़्त गुज़र जाता है,
चलायमान है ये पथ ओ राही,
न कुछ तू लेकर आया था,न कुछ तुझे लेकर जाना है,
बस जीले दिल भरकर हर उस दिन को,
जिनके अरमां बहुत है पाले,इन आँखों में,
जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है………………..
हर खुशी जो मिली मुझे मेरे ख़ुदा की मुझ पर रहमत है,
बंदा हूँ मैं उसका,शीश मेरा सजदे में उसके झुकता है,
न मुझे कभी गुरुर रहे,न तबीयत मेरी गुस्ताख़ बने,
इस बात के लिए ए मेरे परवरदिगार,
हर पल तेरा,ये दिल मेरा,शुक्रगुज़ार रहता है,
कोशिश है मेरी,हर उस मुकाम को हासिल करना है,
और होगा मुकम्मल हर वो ख्वाब यकीन है मुझे,एतबार है मुझे,
जिनके अरमां बहुत है पाले,जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है………………..
जिनके अरमां बहुत है पाले,जिन्हें जीने का सपना सजा रखा है……………….

Friday 20 September 2019

"हसरतें कुछ अनकही सी"---🙂🙂🙂

"हसरतें कुछ अनकही सी"---

की हो मुमताज तुम मेरी,मैं हूँ शाहजहां तेरा,
की मैंने दिल के कोने में,एक ताजमहल बनाया है,
की आ भी जाओ अब तुम,और न मुझको तड़पाना,
की इंतेज़ार में तेरे अबतलक जिरागों को जगाया है,
की हर मूरत वो है जिंदा,जिन्हें तुमने बनाया है,
वरना रूहे ए इंसान भी,तेरे बिन पत्थर की काया है,
मैं हूँ आशिक नही कहता,पर तुम अरदास हो मेरी,
खुदा ने सुनकर दुआ मेरी ,मुझे तुझसे मिलाया है,
वो सुरमा तेरी आँखों का,मेरी आँखों में बसता है,
की दिल के हर इक हिस्से में, हर पल तुझको पाया है,
शरीक़ हो तुम हर हिस्से में, और हर हिस्सा तेरा सरमाया है
ग़ज़ल हो मेरे ख्वाबों की,तू मेरी हसरतों का साया है,


Tuesday 10 September 2019

"भाभी -रिश्तों अपनों का अपनों से"

"भाभी -रिश्तों अपनों का अपनों से"
जब आपके कदम पड़े थे चौखट पर पहली बार
तब मैंने देखा आपको पहली बार,
लगा मानो कोई अपना आ गया समेटे दामन में,
बड़ों के लिए आदर,और छोटों के लिये स्नेह और प्यार,
मैं तो था सबसे छोटा परिवार में,
अबोध अपनी समझ और उम्र में,
था अनजान की देवर-भाभी का रिश्ता क्या होता है?
इस जग में,
पर तुमने इस छोटे प्यारे देवर पर खूब स्नेह लुटाया,
तेरे ममता के आंचल से ममता प्रेम बहुत है पाया,
परिवार का तुम मान हो,सम्मान हो,
और कुटुंब का अभिमान हो,
आदर्श हो हर उस मूर्ति का और,
वत्सल रूप चरितार्थ हो,
मैं हूँ तेरा देवर पुराना, न भूल से भी रूठना,
जो हो भूल से भी भूल मुझसे,प्यार से मुझे डाटना,
न बदला है ना बदलेगा,
न टूटा है और न टूटेगा,
रिश्ता हमारे बीच का अखण्ड शाश्वत सत्य है यह,
उस स्नेह और अपनेपन की डोर का,
यूं ही बना रहेगा सदा ये पावन,
मेरे जीवन की अंतिम स्वांस तक,
ये है वचन ,मन और कर्म से ,
तेरे इस नटखट देवर का।

Monday 3 June 2019

बड़ा अच्छा लगता है…


बड़ा अच्छा लगता है

बड़ा अच्छा लगता है……
याद करना उस लम्हे को,देखा था इन नज़रों ने जब तुम्हें पहली बार,
याद करना बड़ा अच्छा लगता है……
झूलती वो एक ट ज़ुल्फों की,तुम्हारे चेहरे पर क्या करूँ भुलाए नहीं भूलती,
याद करना बड़ा अच्छा लगता है……
उस पल ठहर गयी थी ज़िंदगी,जब आँखों से आँखें मिली थी पहली बार,
सब झूठे,बस वही इक पल था,जो सच्चा लगता है,यही कुछ है जो बड़ा अच्छा लगता है,
जब मिले थे पहली बार,उन मुलाकातों, और बातों-बातों में किया इजहार
याद करना,बड़ा अच्छा लगता है......
बदले दिन,महीने और साल,हर मौसम और हालात,पर तुम वही थे सच्चे जैसे हम मिले थे पहली बार.....
याद करना बड़ा अच्छा लगता है……
वो उड़ता तुम्हारा दुपट्टा,हवा के झोंको में,सरसराहट सी पैदा करता है,
खिचा सा चला आता हूँ,ये एहसास
 याद करना बड़ा अच्छा लगता है……
वो whatsapp,instagram की chat पर घंटों बातें करना,कहना कुछ अपनी,पर बहुत सी तुम्हारी सुनना,
याद करना बड़ा अच्छा लगता है……
अकड़ के रहने वाला ये दिल,तुम पर आकर पिघलेगा, सोचा, जाना था,
पर आया है सिर्फ तुम पर,बना सिर्फ तुम्हारा,ये इकरार करना,
याद करना बड़ा अच्छा लगता है……
मुकम्मल होगा या नही ये जानता नही ,किस्मत पर ज़िंदगी का चक्का चलता है,
पर हाँ कुबूल है ये बिना किसी शक-शुबा के,इजहार के साथ इकरार करना,
बड़ा अच्छा लगता है.............
याद करना उस लम्हे को,देखा था इन नज़रों ने जब तुम्हें  पहली बार,
याद करना बड़ा अच्छा लगता है……