Sunday 5 November 2017

हिल नही सकता एक भी पत्ता,

हो रामा.......
हिल नही सकता एक भी पत्ता,बिन मर्ज़ी संसार में
डोर है हांथों में तेरे ,हैम सबकी इस संसार में,
पर लगा दे मेरी नैय्या, बीच पड़ी मझदार में,
हिल नही सकता एक भी पत्ता,बिन मर्ज़ी संसार में.....
जैसे तारा  अहिल्या मैया को,वैसे हम को भी तारो मेरे प्रभु राम जी
रिश्ते नाते है ये दिखावे,घिरे पड़े मोह माया जाल से,
सबको तारा अब हमको भी तारो,पीर बड़ी संसार में
हिल नही सकता एक भी पत्ता,बिन मर्ज़ी संसार में.....
शबरी के खाये तुमने जूठे
शबरी के खाये तुमने जूठे
बेर जैसे प्यार में,
देखत रह गए चोंक के सबरे सेठ इस संसार में
हिल नही सकता एक भी पत्ता,बिन मर्ज़ी संसार में.....
नज़रे इनायत की बारिश कब होगी हम पर
नज़रे इनायत की बारिश कब होगी हम पर
कब से बैठे इस इंतज़ार में
हिल नही सकता एक भी पत्ता,बिन मर्ज़ी संसार में.....