Saturday 24 March 2018

"संवाद और संबंध"


"संवाद और संबंध"
आरम्भ करूं उसके पहले सारगर्बित सामान्य कथन - "वो क्या है जी की आजकल की generation ही ऐसी है, बच्चे आजकल बहुत smart हो गये है उन्हें कुछ बताना नही पड़ता है,या ज्यादा समझाने की ज़रूरत नही,बच्चे सब कर लेते हैं। या माहौल आजकल ऐसा है जी क्या करें?"
अक्सर देखता हूँ ,सुनता हूँ और महसूस भी किया है कि जैसे जैसे एक बच्चे की उम्र बढ़ना शुरू होती है ,मतलब जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है,वैसे-वैसे उसकी और उसके माता पिता के बीच होने वाला संवाद कम होता चला जाता है। कई बार माता-पिता ये कहते हुए भी पाए जाते है,कि उनका बेटा पता नही कहाँ गया होगा,अरे भाई होगा कहीं अपने दोस्तों के साथ, कब आता है,कब जाता है,पता ही नही चलता। कभी माता-पिता से गलती से भी पूंछ लो कि कौन से दोस्त है बच्चे के,तो पेरेंट्स को तो कई मौकों पर खुद भी पता नहीं होता कि आज कल उनके बच्चों के कौन से दोस्त है,उनके नाम क्या है,कहाँ रहते हैं,और क्या करते हैं?
पर गहराई से देखें तो क्या ऐसा हमेशा से था? याद कीजिये बचपन में जब भी आपका बच्चा स्कूल से आता था, सिर्फ आपके एक बार पूंछने पर की स्कूल कैसा रहा,क्या क्या किया आज,एक सांस में अपने दिनभर का व्योरा दे देता था।कि सुबह जाते वक़्त स्कूल बस में किसके साथ बैठा,क्लास में क्या-क्या पढ़ाया गया,क्या शब्बाशी मिली, क्या शैतानी करने पर punishment  मिली,lunch box किसके साथ share किया,क्या क्या games खेले सब कुछ,अपनी हर परेशानी, हर मांग,अपनी हर चिंता को आपके साथ बाँटता था।पर अचानक क्या हुआ कि सब कुछ बदल गया आज आपको उसका daily routine का ठीक से पता नही और न ही ये की उसकी जिंदगी में क्या चल रहा है।
पर इस बात की ओर कम ही लोग ध्यान देते हैं और अगर दिया भी तो समस्या की जड़ तक कम ही लोग पहुंचते हैं। और अक्सर ये कहते हुए सुने जा सकते है कि "वो क्या है जी कि आजकल की generation ही ऐसी है, बच्चे आजकल बहुत smart हो गये है,उन्हें कुछ बताना नही पड़ता है,ज्यादा समझाने की ज़रूरत नही बच्चे सब कर लेते हैं। या माहौल आजकल ऐसा है जी क्या करें? ज्यादातर लोग पेड़ के न पनपने के लिए कभी बीज को ,कभी मौसम को,तो कभी मिट्टी को दोष देते है।असल बात ये है कि पेड़ को पनपने के लिए दिए जाने वाले लालन-पालन को भी समय के साथ बदलते रहना पड़ता है।जैसे कभी ज्यादा पानी,तो कभी सही खाद,तो कभी सही तापमान देना पड़ता है तभी जाकर वो सही पनपता है।ठीक उसी तरह आपको भी अपने बच्चों के साथ समय के साथ उनकी और अपनी उम्र के अनुसार अलग अलग व्यवहार करना चाहिए कभी बड़े बनकर तो कभी दोस्त बनकर आपसी जुड़ाव को और पक्की तरह से मजबूत करना चाहिए न कि कुछ बहानो की आड़ में बचपन में बोये गए प्यार,स्नेह और अपनेपन के बीज को खराब होने देना चाहिए।