Monday 17 September 2018

उत्सव मौका है कुछ सीखने का.....

             उत्सव मौका हैं कुछ सीखने का.....
जीवन में उत्सवों का बहुत महत्व है,ये हमें मौका देते है,आपस में जुड़ने का,मिलने का,जानने का और बहुत कुछ सीखने का भी। मैं ये नही जानता,कि जिस बात का  ज़िक्र मैं आज आपसे करने जा रहा हूँ,वो पहले किसी ने आपसे नही कही होगी या आपने इसे ध्यान नही दिया होगा,पर आज जो मैंने देखा और महसूस किया वो अनुभव आपके साथ बॉटने का दिल किया,सो कह रहा हूँ,मैं वर्तमान में जिस शहर में रहता हूँ,वहां मुझे आये हुए ज्यादा समय नही हुआ है, क्योंकि मेरी नॉकरी के सिलसिले में मुझे यहाँ आये कुछ ही महीने हुए है,जिस जगह में रहता हूँ,वो उस शहर के काफी पॉश इलाके में गिना जाता है,और जहां काफी उच्च वर्ग के तथाकथित पढे-लिखे और समृद्धि लोग रहते हैं,मैं यहां शहर का नाम इसलिये नहीं बताना चाहता,क्योंकि ये बात किसी एक गली,मुहल्ले,कॉलोनी या शहर की नही है,ये सब जगह समान अवस्था में मौजूद है,शायद नाम लिखूँ तो किसी शहर की पहचान बुरा मान जाए,खैर छोड़िये,मैं जिस मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में रहता हूँ,वहाँ पिछले 8-9 महीनों में मैंने ज्यादा चहल-पहल नहीं देखी । लोगों को ज्यादा एक दूसरे से बात करते भी नही सुना,सब अपने आप में अपनी दुनिया में मस्त हों ऐसा ही दिखता है। बिल्डिंग के बच्चों को भी ज्यादा खेलते हुए या आपस में बात करते या कोई गतिविधि करते नही देखा अमूमन शांति ही देखी। आजकल सब जगह त्यौहार का माहौल बना हुआ है,चारों तरफ गणेश उत्सव की रौनक है,शहर में कई जगह बड़े-बड़े उत्सव चल रहे हैं।पिछले कुछ महीनों में मैंने अपने बिल्डिंग में ऐसे किसी पर्व पर कोई सामूहिक उत्सव नही देखा था।पर आज शाम जब गाड़ी पार्किंग में रख रहा था,तो देखा कि मेरी सोसायटी के बच्चे गणेश उत्सव की तैयारियों में लगे थे,जो बच्चे कभी मुझे वहां कभी खेलते नही दिखते थे,कभी आपस में ज्यादा बात करते नही दिखते थे।वो आज एक टीम की तरह जोश के साथ सारे काम कर रहे थे। उनका ग्रुप बिना किसी मैनेजमेंट ट्रेनिंग लिए भी एक कॉरपोरेट जगत की टीम की तरह काम कर रहा था। जिसमें हर किसी ने अपना काम बांट रखा था,जो बच्चा उन सभी में उम्र में बड़ा था,वो उन सभी के बीच एक लीडर की भूमिका निभा रहा था,और सभी छोटे बच्चों को सही तरह से काम  करने का निर्देशन दे रहा था,दो बच्चों ने साज सजावट का,तो दो ने चंदा इकट्ठा करने का जिम्मा,तो 3 बच्चों ने साफ सफाई और प्रशाद का जिम्मा लेकर काम आपस में बांट लिए थे,और शाम होते-होते उन सभी ने अपने-अपने काम पूरी ईमानदारी और उल्लास के साथ पूरे कर लिए थे। और सबसे बड़ी बात जो इन बच्चों ने दिखाई वो ये कि सोसाइटी के नोटिस बोर्ड पर उस बाल सेना ने एक ओर चंदे से इकट्ठा की गई राशि व सारे खर्चे का हिसाब लिख कर लगा दिया था।और दूसरी ओर अगले 10 दिन के गणेश उत्सव में आयोजित होने वाले कार्यक्रम व आरती की समय सारणी को भी विस्तार से लिख कर लगा दिया था,ताकि सभी को हर प्रकार की जानकारी मिल जाये।
इस पूरे घटनाक्रम का ज़िक्र आज आपके साथ करने का का एक मकसद सिर्फ ये है कि आज इस नए परिवेश में हम बच्चों को नए-नए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स,मोबाइल फोन, लैपटॉप देकर अपने आपको एक अच्छे और सक्षम पेरेंट्स  होने का मेडल दे देते हैं,और कहीं न कहीं बच्चों को हर काम को सीखने या सिखाने के लिए कोचिंग को ही एक मात्र और अंतिम विकल्प के रूप में देखते हैं,जबकि हमारे आसपास के रोजमर्रा के जीवन और दैनिक दिनचर्या में ही देखे और अगर हम नन्हे बच्चों को भी काम करने या एक साथ मिलकर की मकसद को अंजाम देने का मौका दें,तो कहीं न कहीं वो अनजाने में ही सही एक अच्छे ग्रुप की तरह काम करने का गुण सीख जाते हैं,कि कैसे एक टीम का हिस्सा बनकर काम किया जाता है,और हर सदस्य अपनी खूबियों के हिसाब से काम करता है,और एक टीम में उस हर सदस्य और उसकी खूबी की इज्जत करनी चाहिए। और ये सब बिना किसी कोचिंग क्लास में जाये भी वो आसानी से सीख जाते हैं।जैसे इस वाकये में इन बच्चों ने कर दिखाया कि कैसे एक उत्सव का सफल मैनेजमेंट किया जा सकता है।उत्सव हमें बहुत कुछ सीखने का मौका देते हैं,तो आपने इन उत्सवों से क्या सीखा या अपने बच्चों को क्या सिखाने वाले हैं???जवाब जरूर दीजियेगा अगर आपके पास हो तो ,,,,,,