Friday 24 April 2015

“पाती सांझ की”

“पाती सांझ की”-


“कमर झुकी कुछ इस तरह,कि उम्र हुई यारो,

फिर भी बाकी है लौ,नहीं अभी बुझी यारो ,

कि इंतज़ार करता हूँ,मै इसका ये पता नहीं ,

पर उम्मीद है ,कि लेने आएगा कोई कभी मेरी खबर भी सही,

कि इस सफर मे हमने जमी को आसमा से मिलते देखा है यही,

पर पता न था कि जन्नत की चाह मे कमर भी झुक जाएगी यही,

आज देखता हूँ तो लगता है चला आ रहा है मेरा अक्स मेरी ओर यही,

देख वही चाल,वही ढाल,वही रंग रूप सही”। 

Thursday 23 April 2015

सुनो जीजाजी हेंगी साली तुम्हारी दो चारजी

सुनो जीजाजी हेंगी साली तुम्हारी दो चारजी ,तनिक नजर इधर भी घुमाओ।
अपने रिश्ते के भी तीन वचन हैं, जो पूरे हुए तो तुमको कसम है,
पहला वचन पूरे मन से निभाना, भूलो पङोसन को पर हमें भुलाना,
होगा-होगा होली पर हर बरस तुमको आना , चलेगा तुम्हारा कोई भी बहाना ,
सुनो जीजाजी हेंगी साली तुम्हारी  दो चारजी, तनिक नजर इधर भी घुमाओ

दूजा बचन  पूरे धन से निभाना, हांजी पूरे धन से निभाना,
फ्रेश फिलम फ़र्स्ट शो जीजी साथ हमें भी ले जाना , चाट-शाट कोल्डड्रिंक इंटरवल में जरुर से खिलाना,
सुनो जीजाजी हेंगी साली तुम्हारी दो चारजी, तनिक नजर इधर भी घुमाओ।

तीजा बचन पूरे तन से निभाना हांजी पूरे तन से निभाना, खूब पसीना होगा इसमें बहाना,
जीजी जो जाऐं पार्लर तो हमें भी ले जाना ,जो वो बनें नरगिस तो हमें एशवरया बनाना,
सुनो जीजाजी हेंगी साली तुम्हारी  दो चारजी तनिक नजर इधर भी घुमाओ

साली सेवा में जो जीजा रखो तुम आस्था मिलेगा जरूर से ससुराल के लिए स्वर्ग का रास्ता

सुनो जीजाजी हेंगी साली तुम्हारी दो चारजी तनिक नजर इधर भी घुमाओ। 

बोलो धूम-धड़क्का”

“बोलो धूम-धड़क्का”

नेतानी चड़ गई नेताजी पर ,बज गई उसकी बैंड,

“बोलो धूम-धड़क्का”

पिटाई मे टूटे हांथ पाँव और,खर्चे मे चुके गए सारे टेक्स

“बोलो धूम-धड़क्का”

आजकल देखो तो भैया,चल रहा कैसा-कैसा नैन मटक्का,

भैया बोल जिस लड़के संग गाड़ी पर घूमे ,निकले बॉयफ्रेंड वो लड़का

बोलो धूम-धड़क्का”

बूड्डी घोड़ी लाल लगाम,देखो मामा-कक्का

उन्हे देख जबान शरमाये, रह गए हक्का-बक्का

बोलो धूम-धड़क्का”

देख kbc  tv सेट पर अमिताभ को , काकी रह गयी भोचक्का

खुशी से सोच जबानी के दिन,दे दिया कक्का को धक्का ,


बोलो धूम-धड़क्का” 

कुछ देर पहले कुछ न था

"straight from my heart"

कुछ देर पहले कुछ न था,पल मे ना जाने हमे क्या से क्या हो गया,

जाना न था जिसको हमने मै उसका तलबगार हो गया,

रातों की नींद और दिन का वो चेन ले गया,

भूल गया था जिसको मै ,जब झोंके से आँचल लहरा था उसका,


सामने वो आज वाकया याद आ गया। 

मिलती है ख़ास-ओ-आम को


                        "straight from my heart";


“मिलती है ख़ास-ओ-आम को शोहरत और ज़िल्लत भी इसी ज़मी पे,

और होती अहि जन्नत और दोज़क भी इसी ज़मी पे,

बस हरकतों-खुराफ़ातों को करते वक़्त याद रख ए-बंदे,

की कहीं से कोई देख रहा है इसी ज़मी पे,

होती है मुलमियत और ज़ुबान की कदवाहटें अलग-लग बंदों मे इसी ज़मी पे ,

मिलते नहीं है सौदागर काही अमन-ओ-चेन के,


और बनती है बात रंगो-बू दोनों से इसी ज़मी पे”

Monday 13 April 2015

“छोड़ो न यार”

“छोड़ो न यार”
ये ऐसे तीन शब्द हैं जिसे हमारे समाज के तथाकथित पडे-लिखे सभ्य लोग अक्सर अपनी कमी और कमज़ोरी को छुपाने के लिए उपयोग करते हैं ।कहीं आप भी उनमें से एक तो नहीं ? अगर जानना चाहते तो क्यों न खुद से ही आज कुछ सवाल पूछ लेते हैं । ऐसी परस्थितियाँ जो कभी ना कभी आप के हमारे सब के सामने आती ही रहती हैं । तो क्या आप तैयार हैं तो शुरू करते हैं -
कहीं किसी दिन सड़क पर जाते हुए देखते हैं कि कोई बुजुर्ग परेशान हो रहा हैं अपने बजनदार समान की वजह से या सड़क पार ना करने की वजह से,आप देखते हैं लेकिन क्या आप मदद करते हैं ? या सोचते हैं  “छोड़ो न यार”
कभी किसी बस में आप सफर कर रहे हैं और बस का कंडक्टर किसी सवारी के साथ गलत किराया ले रहा है और विरोध करने पर बत्तमीजी भी कर रहा है तो ये सब देखकर आप क्या करते हैं ? उठकर आप इस गलत व्यवहार का विरोध करते हैं या सोचते हैं  “छोड़ो न यार”
और तो और एक बात यहाँ मैं पूछना चाहता हूँ ये सवाल हर लड़के और लड़की दोनों से हैं जब आप घर से कहीं बाहर जा रहे होते हैं तो ये नज़ारा अक्सर हमारे सामने आता हैं अक्सर हम देखते हैं की कुछ बेहद ही तथाकथित पड़े-लिखे और सभ्य परिवार के लोग सड़क पर जाती हुई लड़कियों पर,कोचिंग्स में पड़ती हुई लड़कियों पर,बाजार में शॉपिंग पर जाती हुई लड़कियों पर, और कभी कभी तो ये ईश्वर के घर में भी लड़कियों पर भद्दे कोमेंट्स करने से नहीं चूकते,और शान से अपनी इस हरकत पर मज़ा लेते हैं ।
पर शायद ये भूल जाते हैं  की उनकी इस हरकत से उस महिला या उस लड़की को कितना मानसिक तनाव होता हैं ।
मेरा सवाल बड़ा साधारण हैं आप ये सब देखकर क्या करते हैं  ?
आगे बढ़कर उनकी इस हरकत का विरोध करते हैं और अपने आस-पास घर और समाज में भी इनको रोकने का प्रयास करते हैं या देखकर मुह मोड लेते हैं और कहते हैं  “छोड़ो न यार”
कृपया “छोड़ो न यार” कहना बंद करें और एक पहल करें नए बदलाव की । बदलाव उस गलत व्यवहार के विरोध में जो लोग अक्सर करते हैं ,और विरोध न होने पर उनकी हिम्मत बढती चली जाती हैं  
याद रखिए आज जो गलत व्यवहार किसी और के साथ हो रहा है,जिसे आप देखकर भी कह रहे हैं  “छोड़ो न यार” कल कहीं आप भी इसी के शिकार न हो जाएँ और कोई और आपकी मदद को ना आकार कह रहा हो “छोड़ो न यार”