Wednesday 2 June 2021

उड़ान पर लगाम क्यों ???


उड़ान पर लगाम क्यों ???

कल जो हुआ वो पहली बार नही हुआ था,ऐसी घटनायें आम थी,अब तक रोज़मर्रा के जीवन में अक्सर होता था,पर इंसान हूँ न, देखकर भी नज़र अंदाज़ कर जाता था, पर कभी-कभी घंटे की कोई टंकार ऐसी होती है जो कानों में पड़कर सीधे मन पर असर करती है,वैसा ही कुछ शायद मेरे साथ हुआ उस दिन जब उस वाकये ने मेरे अन्तर्मन में विचारों का तूफान सा ला दिया,जिसकी उठती लहरों ने मेरे शांत मन में एक विचारों,सवालो की बैचेन कर देने वाली श्रंखला सी खड़ी कर दी। 

एक बहुत ही टैलेंटेड बच्ची जो की बहुत ही अच्छी लेखिका और कवियत्री है,और उसकी द्वारा रचित रचनाये लोगों में काफी लोकप्रिय होती रही है और काफी बड़े-बड़े लोगों द्वारा सराहना की पात्र भी बनी है,उस बच्ची को हाल ही में एक बड़े मंच से प्रस्तुति के लिए आमंत्रण आया था,यह आमंत्रण उसके साहित्यिक जीवन में बहुत बड़ी उपलब्धि होने वाली थी,क्योंकि वह इस छोटी सी उम्र में अपने टैलेंट के बल पर इस उपलब्धि को हासिल करने वाली अपने क्षेत्र की इकलोती लड़की थी,साथ ही इस प्रस्तुति के दौरान वह साहित्य जगत के बहुत गुणी और बढी हस्तियों के साथ मंच साझा करने वाले थी,इस बात से वह बहुत उत्साहित थी,उसका तो जैसे सपना सच होने जा रहा था, उसने ख़ुशी की ये खबर सबसे पहले अपने माता-पिता को बताई तो सुनकर उनके चेहरे पर कोई खास ख़ुशी या गर्व का भाव नही आया,बल्कि बदले में उसे उनके द्वारा कार्यक्रम में ना जाने का आदेश मिला और कारण पूछने पर सीधा जवाब मिला की हमारे घर की लडकियां ये सब फालतू काम करते अच्छी नही लगती, उदास मन के साथ उसने उनकी बात मान ली। अगले ही दिन सब साथ बैठे टीवी पर एक कवि सम्मलेन देख रहे थे, जिसमे एक युवा लड़की कविता सुना रही थी,तभी उस लड़की को देख पिताजी बोले देखो कितनी टैलेंटेड बच्ची है, कितना अच्छा लिखती है,कितनी अच्छी कविता सुनाती है,इसके माता-पिता को इस पर कितना गर्व होगा,साथ में कुछ शब्द माता जी ने भी जोड़े कि हाँ अपने माता पिता का नाम रोशन कर रही है,साथ में बैठी वह लड़की अवाक भाव लिए अपने माता पिता को देख रही थी,साथ ही कोने में पड़े उस आमंत्रण पत्र को जिसे कल उसकी माँ ने कचरा समझ कोने में फेक दिया था,वह इसी कार्यक्रम का आमंत्रण था जिसे आज वह सब मिलकर टीवी पर देख रहे थे। 

अक्सर देखा है,ये कहते हुए हमारे पैरेंट्स और गार्जियन को उनके बच्चों से की,वो देख रहे हों तुम्हारी क्लास के फलां बच्चा ये काम कितना अच्छा करता है,वो गाना कितना अच्छा गाता है,पेंटिंग कितनी अच्छी करता है,भाषण प्रतियोगिता में अव्वल आने वाले बच्चे का उदाहरण देकर अक्सर ये कहा जाता है,की देखो ये बच्चा कितना अच्छा बोलता है,कविता कितनी अच्छी लिखता वगेरह-वगेरह। आप को लग रहा होगा,किसी के गुणों की तारीफ अगर पैरेंट्स कर रहे है तो इसमें क्या बुराई है? बिलकुल साहब! कोई बुराई नही है,बिलकुल करिए,करनी भी चाहिए,भाई अगर कोई भी कुछ काम,तारीफ के काबिल करता है,तो तारीफ दिल खोल कर करनी चाहिए,पर जरा रुकिए साहब इसके पहले की आप निष्कर्ष निकाल कर जल्दी में इस बात को यही खतम करने का सोच रहे हो तो,ज़रा ठहरिए साहब,अभी बात पूरी कही कहाँ गयी है,जो खतम करने की इतनी जल्दी हो रही है,पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त,तो बात कुछ यूं है,की अपने बच्चे के सामने उसके हमउम्र किसी साथी की चाहे वो स्कूल का कोई साथी हो या फिर मुहल्ले का कोई दोस्त हो,उसकी तारीफ करने में कोई बुराई नही है,पर जब वही तारीफ आपके बच्चे के लिए ताना बन जाए,तो ज़रा बात सोचने वाली है,आपका ये कहना कि देखो फलां बच्चा कितना अच्छा गाता है,तक तो अच्छी बात थी पर जब आप आगे ये कहते है,कि हमारा बेटा या बेटी को तो गाना आता ही नही या इसे तो कुछ अच्छा आता ही नही,तब बात बिगड़ना शुरू हो जाती है,आपकी तारीफ,तब तारीफ न हो आपके बच्चे के लिए ताना बन जाती है,जो कि उसके कोमल मन पर उल्टा असर डालती है,पर क्या आपने अपने आप के क्रिया कलाप पर गौर करके देखा है,अगर आपका बच्चा किसी भी एक्सट्रा curricular activities में उभर कर नही आ पा रहा है,तो कारण क्या है? क्या उसमें टैलंट की कमी है ? यह सवाल उठाने से पहले, और इसके जवाब में हाँ कहने से पहले एक बार,सिर्फ एक बार खुद का मूल्यांकन करके देख लीजिये,की अगर आप ये कह रहे हैं की अरे देखो वो कितना अच्छा गाता है और तुम नही गाते,तो ज़रा याद करके भी देखिये की जब कभी अगर आपके बच्चे ने घर पर कभी गाने की कोशिश की,तब शायद आपने ही सबसे पहले उसे कहा होगा बेटा बंद करो ये गाना,फालतू शोर मत करो,जब कभी उसने डांस करने के लिए अपने पैर थिरकाए होंगे,आपने अंजाने में ही सही उनपर ये कहते हुये ब्रेक लगा दिया होगा,की ये उछल खूद यहाँ नही,बंद करो,ये बंदरो की तरह हरकतें,किसी दूसरे बच्चे को प्रोग्राम में अच्छा भाषण देते हुये सुन,आपने अपने बच्चे को ताना मारा होगा की तुम्हें ये क्यों नही आता,तो ज़रा याद करिए,किसी विषय पर आपके बच्चे ने जब कभी अपनी बात रखी होगी अपने तर्कों के आधार पर तो कभी आपने उसे कहा होगा फालतू बहस मत करो।

मैं यहाँ बच्चों की हर असफलता के लिए पैरेंट्स को जिम्मेदार नही ठहरा रहा,बस ये कह रहा हूँ की कई बार पैरेंट्स अंजाने ही सही बच्चों के उभार को दबा जाते हैं,यह सोचकर की यह सब फालतू हरकते हैं जो उनका बच्चा उस समय घर पर कर रहा हैउनके द्वारा बच्चों को नई-नई चीजों,और प्रयोगों को रोकने की वजह से कई बार बच्चों के शुरुआती बड़ते हुए उम्र के दिनों में उनके नए उभार और टैलेंट उभर कर सामने नहीं आ पाते और कहीं ना उस पतंग की तरह रह जाते हैं,जिसे धागा बाँधकर रखा तो गया पर कभी खुले आसमान में स्वछन्द उड़ने नही दिया गया.और साथ ही वक़्त-वक़्त पर हीन भावना भरे तंज भी दिए जाते रहते है,की फलां को देखो कितना अच्छा काम कर लेता है,कितना टैलेंटेड है,मैं यहाँ ये नही कहता की हर बच्चा हर काम,हर खेल,हर विधा में पारंगत हो सकता है,पर परम शक्ति ने हर इंसान में कुछ ना कुछ खूबियाँ और शक्तियां दी है,जो उसे हर दूसरे इंसान से अलग और ख़ास बनाती है,बस जरुरत होती है उसे पहचानने की,साथ ही उस बच्चे की उसकी उस खास खूबी से पहचान करवाने की। 

और ये काम आप पेरेंट्स से बेहतर कोई नहीं कर सकता,कहते हैं न घर-परिवार ही बच्चे की पहली पाठशाला होते हैं और माता पिता ही उसके पहले शिक्षक तो कभी भी अपने बच्चों को तुलना के तराज़ू में रखकर दूसरों के साथ ना तौले,बल्कि अगर कोई अन्य कोई कार्य अच्छा कर रहा है या किसी विधा में कुशल है तो उसे उससे प्रेरित होने के लिए कहिये,उस व्यक्ति,शक्सियत को उसकी “प्रेरणा” बनाये ना की “पेरना” मतलब परेशानी। तो आज से ही उनकी टैलेंट रुपी पतंग को उड़ने में मदद करने वाली ‘छुड्डी’ दीजिये आप सपोर्ट सिस्टम है उंनका, अगर आप उन्हें ज़रा सा उड़ने का मौका देंगे तो भरोसा करिए वो निश्चित ही सफलता के आसमान में अपना और आपका नाम रोशन करेंगे।