Monday 23 May 2016

“एक कदम........”

“एक कदम........”
कहते हैं कि किसी भी काम की शुरुआत एक छोटे से आईडिया से होती है,ऐसी ही एक छोटी सी बात या यूं कहें की घटना मेरे साथ भी घटित हुई, कुछ दिन पहले मैं अपने कुछ साथियों के साथ ऑफिस में बैठा किसी प्लान पर चर्चा कर रहा था,चर्चा पूरी होते-होते हम सब काफी थक चुके थे,सोचा क्यों न एक-एक प्याली चाय पी ली जाये,पास ही बनी चाय की गुमटी पर जब हम खड़े होकर बात कर रहे थे,वहां देखा की गुमटी पर काम करने वाला लड़का जिस कपडे से टेबल साफ़ कर रहा था,उसी कपडे से अपना तन भी ढँक रहा था,पूंछने पर कहने लगा भैया मेरे पर दूसरी कोई शर्ट ही नहीं है,तभी मैंने उसे कुछ पैसे देकर नयी शर्ट ले लेने को कहा,तभी बातों ही बातों में मेरे मुंह से अपने एक छोटे से सपने का जिक्र हो गया,कि कभी न कभी कहीं न कहीं इस व्यस्त ज़िन्दगी से थोडा सा समय निकल कर क्यों हम कुछ ऐसा काम करें जो किसी ज़रूरतमंद की मदद भी कर सके और किसी के हुनर को तराशने में मदद कर सकें,कभी कोई भी किसी हालत के सामने मजबूर होकर घुटने न टेके,बस यही सपना था जो मैं हमेशा से पूरा करना चाहता था लेकिन इस रोज़ की व्यस्त ज़िन्दगी से नहीं निकल पा रहा था,मुझे समय ही नहीं मिल रहा था,ऐसे ही खड़े खड़े जब मैंने ये विचार अपने बाकि साथियों के साथ साँझा किया तो उन्हें ये बात बहुत अच्छी लगी,उन लोगों ने सिर्फ एक बात कही अच्छे काम के लिए कभी का इंतज़ार क्यों करना,आज और अभी इस नेक काम की शुरुआत करते हैं, पर सवाल ये था की शुरुआत कैसे और कहाँ से करें,थोड़े से विचार-विमर्श के बाद तय हुआ क्यों न एक NGO रजिस्टर्ड किया जाये,जिसका उद्देश्य एक बार में बहुत बड़ा काम करके रुक जाने का नहीं बल्कि छोटी-छोटी कोशिशों से कुछ बेहद ही छोटी-सी मदद, छोटे छोटे बदलाव की लौ जलाना होगा
सोच तो अच्छी थी पर कहते है न,मंजिल की राह इतनी आसान नहीं होती,मुश्किलें हमेशा आपका रास्ता रोकने की कोशिश करती हैं,लेकिन मंजिल उन्हीं को मिलती हैं जो इन मुश्किलों की दीवार में खिड़कियाँ बना कर उम्मीदों के आसमान को देखने का हौंसला रखते हैं।
कई लोगों से जब ये आईडिया discuss किया तो उन्होंने कहा ये सब बेकार है,पर हम कहाँ सुनने वाले थे,हम तो बस आगे बढना चाहते थे,पर सबसे बड़ा सवाल हम सबके सामने ये था की हम अपने जॉब के टाइमिंग और busy schedule में से ngo के काम के लिए कैसे समय निकालेंगे,और तय ये हुआ की हम weekends पर ज्यादा और weekdays पर दो –दो के ग्रुप में काम करेंगे
और इस तरह आकार लिया हमारे ngo “प्रभव वेलफेयर सोसाइटी” ने जो हम कुछ साथियों के साथ शुरू हुआ,और कुछ ही समय में बहुत सारे लोगों का साथ और सहयोग पाकर परिवार बढता जा रहा है,मैं यहाँ अपने किसी भी साथी का नाम नहीं लेना चाहता,क्योंकि उससे ये बात कुछ लोगों के नाम तक सीमित हो जाएगी,मैं चाहता हूँ इसे पड़ने वाले हर उस व्यक्ति तक ये बात पहुंचे और वो भी छोटी सी कोशिशों की मदद से बदलाव की लहर ला सके

अभी “प्रभव वेलफेयर सोसाइटी” ने अपने सफ़र की शुरुआत पहले campaign “सिर्फ एक जोड़ी कपड़ा” से की है,जिसके तेहत हम लोगों के घरों से उनके पुराने कपडे लेते हैं और उन्हें ज़रूरतमंद लोगों तक पहुचाते हैं.ये बस एक कदम है लम्बे सफ़र पर चलने के लिए