Saturday 22 November 2014

"JUST DO IT "


"JUST DO IT"

ये तीन शब्द शायद सबसे छोटा प्रारूप हो सकते हैं, ये याद करने के लिए की आपका जूनून क्या थाया है? वो काम क्या है जिसे करके आपको ख़ुशी मिल सकती है?
शायद आप,हम या हममें से हर कोई यह जानता है,की वह काम कौन सा है? जिसे करने से उसे अच्छा एहसास मिलता है,लेकिन क्या सच में वह काम करने के बाद दिल ये आवाज़ देता है की हाँ ! यही तो वो काम था ,जिसे मैं जीवन में करना चाहता था, इसी काम को लेकर मैं जुनूनी था, मैं इसी काम के लिए तो बना हूँ  
अब सवाल ये है? कि ये बात पता कैसे लगाई जाये कि वो काम कौन सा है ? जिसे लेकर दिल कहे यही है वो "just do it”,तो प्यारे साथियों तनाव जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है  इसे कोई नकार नहीं सकता. हमारे काम में यह होता ही रहता है,लेकिन साथियों कभी खुद से पूँछ कर देखा है, कि जो काम हम कर रहे है,अगर वो हमारे मन का होता तो क्या हमे उसे करने के बाद तनाव रहा होता ?तो क्या वो काम हमारे मन का है  क्या ? क्या वही वो चीज है जो हम हमेशा से करना चाहते थे ? हाल ही में बॉलीवुड फिल्म में बहुत अच्छा शब्द उपयोग किया गया था "किक" जिसमे हीरो अपने काम में "किक" ढूढ़ने की कोशिश करता है.वहाँ किक का मतलब उसके लिए भी वही था कि कोई ऐसा काम करना जिसे करके दिल खुश हो सके और दिल कह सके यही है वो "just do it”.
किसी भी काम को चुनते वक़्त एक सवाल अपने आप से जरूर पूँछिये कि क्या हम यह काम तारीफ पाने के लिए कर रहे है? या वाकई हम इस में रूचि रखते है ?अगर आप सिर्फ तारीफ पाने के लिए  वह काम कर रहे हैं, तो यकीन मानिये यह काम आपको वहुत ट्यक्लीफ़ और तनाव देने वाला है ?
और यदि आप उसे करने के लिए वाकई इंटरेस्टेड हैं, तो यकीन मानिये वह काम आपको बहुत मज़ा देगा और तारीफ तो अपने आप आपको मिल ही जाएगी 
अगर आपको लिखना अच्छा एहसास देता हैं तो क्यों लेखक बना जाये? अगर संगीत बनाना पसंद है तो क्यों ना म्यूजिशियन बना जाये ऐसी बहुत सी चीज़े हैं जो किसी ना किसी को अच्छी लगती हैं.बस जरूरत हैं सही विकल्प चुनने की 
तो थोड़ा सा समय निकालिये यह सोचने के लिए क्या काम करने से आपके दिल में घंटी बजती  हैं या कहें तो kick देता है ,क्या करने से आपके चेहरे पर मुस्कराहट जाती है और मन कहता है "just do it ".  

“SELF LOVE IS NOT SO VILE A SIN AS SELF-NEGLECTING”

“SELF LOVE IS NOT SO VILE A SIN AS SELF-NEGLECTING”
विलियम शेक्सपीयर का ये कहना बिल्कुल सही है,जीवन में हमेशा परोपकार की भावना रखनी तो चाहिए पर कभी-कभी अपने बारे में भी सोच लेना चाहिए क्योंकि-
"खुद से प्यार करना इतना बड़ा पाप नहीं है जितना खुद की भावनाओं और खुशियों को नज़रअंदाज़ करना"
जरा खुद से पूँछ कर तो देखिये आखिरी बार आपने खुद के लिए ख़ुशी से भरा कौन-सा लम्हा जिया थाआखिरी बार खुद के लिए कब आपने समय निकाला था? शायद कल,परसों या कुछ दिनों पहले अगर बात यहां तक है,तो ठीक है पर अगर यही बात हफ़्तों या महीनों में बदल गई है, तो ये खतरे की घंटी की आवाज़ है क्योंकि कहीं न कहीं आप अपने आप को समय न देकर नज़रअंदाज़ कर बहुत बड़ा नुक्सान भी कर रहे हैं
कहते हैं आप अगर जीवन में ख़ुशी और उत्साह के साथ समय बिताना चाहते हैं,तो समय-समय पर हमें कुछ छोटे-छोटे ही सही ऐसे काम करते रहना चाहिए जो दिल को ख़ुशी से भर दे
ये छोटा काम कुछ भी हो सकता है,जैसे अगर आपको पेंटिंग करना पसंद है, और ये आपको ख़ुशी देता है, तो कभी-कभी समय निकल कर पेंटिंग  जरूर किया करें ये आपके दिल को खुशियों से भर देगा
कभी पानी में पैर डालकर बैठिये बहुत सुक़ून मिलेगा कभी सुबह-सुबह ओस की गीली घांस पर नंगे पैर चलकर देखिये अच्छा लगेगा चांदिनी रात में टहलकर देखिये सुक़ून मिलेगा
आप आख़िरी बार फिल्म देखने कब गए थे? अगर याद नहीं तो यक़ीन मानिए आप बहुत कुछ मिस कर रहे हैं बस ज़रा सा सोचिये एक बड़े सिनेमा हाल में आप सिर्फ आप, साथ में पॉपकॉर्न का बड़ा-सा पैकेट और कोल्ड ड्रिंक या गर्म कॉफ़ी की चुस्की चारों ओर से अजनबियों से घिरे आप और परेशान करने वाला कोई नहीं
ऐसे बहुत से काम हैं इस दुनिया में जो आप अपनी खुशियों के लिए कर सकते हैं और भरोसा रखिये ज़रा सा समय अपने लिए भी निकाल कर देखिये अच्छा लगेगा. खुद से प्यार करना इतना बड़ा पाप नहीं जितना अपनी अंतरआत्मा की आवाज़ का दमन करना

क्योंकि -"जो चीज़ें या काम आपको ख़ुशी देता है, वो चीज़ें आप जरूर करें अपने आपका अच्छे से ख्याल सभी प्रकार से रखें और यह एक अच्छी और सही प्रकार की स्वार्थी प्रवत्ति है"