Wednesday 14 February 2018

क्या ये खता है मेरी.....

क्या ये खता है मेरी.....

क्या ये खता है मेरी.....
कि नियत मेरी सच्ची है,खुदा पर भरोसा रखता हूँ
क्या ये खता है मेरी.....
कि हर मुकाम को मेहनत और खुदा की रहमत से पाना चाहता हूँ
क्या ये खता है मेरी.....
कि देखे हैं कुछ छोटे छोटे सपने,
और रखता हूँ उन्हें पूरा करने की चाहत
क्या ये खता है मेरी.....
कि काम को सिर्फ काम नही
जुनून मानकर पूरा करता हूँ मैं
क्या ये खता है मेरी.....
कि ना जाने क्यों हर बात में
नफा नुकसान का हिसाब लगाते है लोग
ना हो रहा हो खुद का नफा या
न कर पा रहे हों किसी का नुकसान
तो अच्छे काम के लिए आगे भी नही आते है लोग
क्या ये खता है मेरी.....
बनाते है लोग नेक काम न करने के बहाने
छिपाते हैं कई लोग अपनी नाकाबिलियत और कमियां
करके बहाने कि बहुत व्यस्त हैं,मिलता नही हमें वक़्त है
पर मैंने ठाना है,साथ दे या न दे कोई मेरा,
गर रहमत है खुदा की मुझ पर
तो कर लूंगा हर मुश्किल को पार
मुझे पाना है हर मंज़िल हर मुकाम हर बार
ना थकूंगा न रुकूंगा न मानूंगा हार
अगर है इरादा ये मेरा
तो क्या ये खता है मेरी.....

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