"उम्मीद वाला पेड़"
कभी उम्मीद वाले पेड़ को देखा है,कभी उसकी छाँव में खड़े हुए हैं,नहीं तो आइये मिलवाता हूँ "उम्मीद वाले पेड़ से"।
रोज़ मेरे घर आने जाने के रास्ते में एक मोड़ पड़ा करता है, जिसके पास एक पेड़ लगा था बहुत विशाल तो नही पर फिर भी इतना तो हराभरा और घना था,कि किसी व्यक्ति को गर्मी की तपती धूप में छांव का आसरा दे देता था और तेज बरसात में उसने कई बार लोगों को भीगने से बचाया है।कहने को वो सिर्फ एक पेड़ था,पर जब-तब कई बार लोगों को मुसीबत में राहत की सांस लेने में मदद और धीरज के कुछ पल ज़रूर दे देता था।
पिछले दिनों सड़क पर तथाकथित "आधुनिकीकरण" की बयार चली कुछ छूटपुट परिवर्तन किए जा रहे थे। उस परिवर्तन का पहला शिकार यह पेड़ ही हुआ क्योंकि बिजली के तार की लाइन डाली जानी थी जो कि थोड़ी घुमाकर भी डाली जा सकती थी,लेकिन नही साहब ऐसा कष्ट कैसे किया जाता,सोचा होगा ये पेड़ कौन सा लड़ाई करने लगेगा सो काट दिया गया।अगले दिन जब रोज़ की तरह वहां से गुजरा तो उस पेड़ पर पत्तों की जगह मुझे सिर्फ एक सीधा निरीह तना दिखाई दिया,जिस पर सिर्फ 2-3, पत्ते बचे थे। जिसे देख ऐसा लग रहा था कि मानो किसी की मौत हो गई हो और आसपास का सूनापन उसके मातम को दिखा रहा था।ये सब देखकर मन बहुत दुखी हुआ में वहाँ अपनी गाड़ी से कुछ पल रुका जैसे मानो मन उस पेड़ को श्रद्धांजलि दे रहा हो इस विचार के साथ कि अब ये पेड़ दोबारा कभी नहीं बढ़ पाएगा और न ही इसकी शाखों पर फिर कभी हरे पत्ते आ पाएंगे,न फिर ये कभी किसी को छाँव का आसरा दे पाएंगे।कुछ पल मौन के समर्पित कर मैं वहां से अपने काम पर निकल गया।रोज़ का सिलसिला जारी रहा आना-जाना नियमित चलता रहा।कुछ दिनों बाद मैनें देखा कि उस सूखे निरीह तने जिसके ऊपर सिर्फ 2-3 पत्ते शेष रह गए थे,धीरे-धीरे बढ़ने लगा था और उस पर पत्तों की कुछ नई शाखें आने लगी थी।और अगले कुछ दिनों में मैंने देखा कि उस पेड़ में शाखें बढ़ने लगी और कुछ ही महीनों में पेड़ अपने पुराने रूप को पाने के लिए आतुर हो बढने लगा है, मानो इस पुख्ता भरोसे को दर्शाते हुए कह रहा हो कि मैं अभी खत्म नहीं हुआ बस कुछ पल के लिए रुक गया था,किसी बजह से,पर मेरा अस्तित्व खत्म नहीं हुआ,न उम्मीद खत्म हुई है,मैं फिर से खड़ा होने के लिए आशान्वित हूँ,गिर कर फिर शान से खड़ा होउंगा जवान होकर और लोगों को बहुत कुछ देना बाकी है,मुझमें जान अभी बाकी है,उससे ज्यादा विश्वास अभी बाकी है।
इस छोटे से वाकये ने मुझे एक बहुत बड़ी सीख दी हम इंसान जीवन में कई बार छोटी छोटी बातों और असफलताओं से डर जाते हैं,टूट जाते हैं ज़रा सी बात में नाउम्मीद हो जाते हैं,और कहने लगते है कि सब खत्म हो गया,मैं हार गया अब कुछ नहीं हो सकता वगैरह वगैरह वगैरह और पता नहीं क्या क्या....
पर इस पेड़ को फिर से खड़े होने और हरीयाली देने की इक्षाशक्ति ने उसे बल दिया और फिर से वह अपने पुराने स्वरूप में और ज्यादा मजबूत और नई टहनियों के साथ खूबसूरती से खड़ा होने को तैयार है,इस बात ने मुझे हमेशा सकारात्मक रूप से प्रयास करने और कभी उम्मीद न छोड़ने को सीख दी।कि हार जैसा कुछ नहीं होता वो सिर्फ एक नया मौका है,नई ऊर्जा के साथ काम को और बेहतर तरीके से करने और उससे ज्यादा लाभ कमाने का।तो ढूंढ़ लीजिये कहीं न कहीं "उम्मीद वाला पेड़" आपके आस पास ही होगा बस नज़रिया आपका है जैसे भी इसे देखे।
दिल को छू जाने वाली कहानी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपके इन प्रशंसा भरे शब्दों के लिए।
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DeleteEk new energy jaga dene wali story
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
DeleteHeart touching
ReplyDeleteThanks a lot
DeleteAwesome guru ji
ReplyDeleteBest one
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DeleteThanks for your appreciation
DeleteThank you very much
ReplyDeleteDil s likha h dil m utar gaya aur umang jagateraho .
ReplyDeleteBahut bahut dhanyawad aapke in shabdon ka
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