Tuesday 9 April 2019

प्रश्न तो है???

प्रश्न तो है???

कल मैंने जो देखा वो नज़ारा शायद कई सालों के बाद इन आँखों के सामने आया,जिसे देखकर लगा कि ऐसा कुछ भी इस जीवन में अब भी हो रहा या होता है,ये भरोसा-सा खत्म होने लगा था। क्योंकि आज जो कई सालों से अपने आसपास घटित होता देख रहा हूँ,उससे एक बात तो लगने लगी है,कि शायद यही सही है,या यही होता है, और कुछ नहीं। जिस नज़ारे की बात मैं कर रहा हूँ,वो मैंने अपनी यात्रा के दौरान देखा,कल इन आँखों ने दो नन्हें भाइयों को एक हैंडपंप पर नहाते देखा,दोनों आपस में अठखेलियाँ कर रहे थे,दोनों कि उम्र कुछ ज्यादा नही थी,छोटा भाई हक़ के साथ अपने बड़े भाई को परेशान कर रहा था,कभी पानी उस पर डालता तो कभी बाल्टी को गिरा देता,बड़ा भाई जो उससे शायद ज्यादा बड़ा नहीं लग रहा था,उसकी हर शैतानी को खेल समझकर हंस रहा था,बड़ा भाई पानी के मग भर-भर कर अपने छोटे भाई के ऊपर डालकर उसे नहला रहा था और छोटा भाई भी मज़े से खेल रहा था। नहाने के बाद बड़े भाई ने सबसे पहले टॉवल से छोटे भाई को पोछा फिर साफ और सूखे कपड़े पहनाए और खुद भी पहने फिर वहाँ से दोनों हाथ पकड़कर अपने घर की ओर चल दिये। तभी छोटे भाई का पैर ज़रा सा फिसला तो बड़े ने उसे संभाला और आराम से चलने की हिदायत दी,जिसे छोटे ने पूरी तरह माना,कुछ देर बाद ये जोड़ी मेरी आखों के सामने से ओझल हो गई,पर जाते-जाते कई सारे प्रश्न छोड़ गयी,जैसे क्या कल ये भाई जब बड़े होंगे तब भी ऐसे ही रहेंगे ? क्या तब भी छोटा भाई हक़ से शरारतें करेगा ? क्या बड़ा भाई उसकी गलतियों को नज़रअंदाज़ करेगा ? क्या छोटे भाई के लड़खड़ाने पर बड़ा भाई उसका हाथ इसी तरह थामेगा ? और क्या बड़े भाई की समझाइश भरी डांट को छोटा भाई सीख मानकर अनूकरण करेगा। आज अपने परिवार और आस पड़ोस में अकसर देखता हूँ,अहंकार का चश्मा हर आँख पर चड़ा है। भाइयों में  अपने-अपने अहंकार की तुष्टि और एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रतिस्पर्धा है। क्यों किसी भी बात पर घर के बटबारे हो जाते है ? जहां कभी साथ खेले और बड़े हुये। क्यों शब्दों में तल्खी और नज़रों में घ्रणा का भाव बड़ने लगता है ? जिनमें कभी आदर का भाव था। क्यों आज बड़ा भाई छोटे भाई की किसी भी गलती को नज़रअंदाज़ नहीं कर पाता ? क्यों छोटा भाई बड़े भाई की सीख भरी डांट को अपना अपमान समझने लगता है ? सवाल तो बहुत है,इनके जवाब शायद अलग-अलग लोगों के पास अलग-अलग हों,पर मेरे पास इसका सिर्फ एक ही जवाब है, कि अपने अंदर के बचपन को मरने न दें,अपनों के लिए मन में निश्छल भाव रखिए,प्रेम सदा पवित्र बना रहेगा। आप क्या सोचते हैं,अगर कोई उत्तर हो तो बताइएगा ज़रूर।  

6 comments:

  1. बहुत अच्छा लगा पढ़कर । अपने बचपन याद आ गया । ये सवाल सही है बड़े होने के बाद छोटी बात भी बहुत बड़ा रूप लेती है । पर हम सभी को एक दुसरे का सम्मान करना चाहिए तबाही सब बड़े हो या छोटे खुश रहेंगे

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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  2. Hamesha khush rhe or nishal bhav se logo ki madad kre aur khush rhe hamesha.bhut hi shandar shabdo ka chayan

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    1. बहुत बहुत आभार आपके इन प्रोत्साहन भरे शब्दों के लिए

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  3. Shabdo ka adbhut chayan n bhut hi accha lekhan sir ji

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  4. Akele ki jagah yadi pariwar ke sath uchaiyo ko chhune ki koshish ki jaay to life bahut acchi ho jati h kyonki asli maja to sab ke sath aata h. Aur safar bhi kamal ka ho jata h.

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