Sunday 14 July 2024

प्रेम की पाती

प्रेम की पाती



तुम आस हो विश्वास हो,मेरे जीवन की परिपूर्णता का एहसास हो,

तुम बिन अधूरी मेरी हर सांस है,
जीना तुम बिन जैसे एक परिहास है।

छनकती पायल तुम्हारे पैरों की, एक राग छेड़ जाती है,
कानों के द्वार से मेरे हृदय में उतरकर, अनुराग दे जाती है।

ये जो कोमल तुम्हारे पैर, घर की जमीं को स्पर्श होते हैं,
तो लगता है मानो,जैसे पूनम का चांद, 
समेंटे चाँदनी को अपने अंचल में,
 मेरे घर के आंगन में उतर आया है।

वासना नही,निश्छल-निस्वार्थ प्रेम की डोर हमारे बीच है,

कुछ तुम कहो मैं सुनु,और कुछ मैं कहूं और तुम सुनो,
यही तो वो सम्मान का पुल है, जो बना हमारे बीच है,

सिर्फ पत्नी नही तुम मेरी,जीवन का अभिन्न अंग मेरी मित्र हो,
जीवन के पटल बना एक खूबसूरत हंसीन रंगीन चित्र हो,
सुख-दुख मेरे जिसमें समाये,वो आधा अंग मेरा अर्धांगनी हो,

इस शरीर का तुम तुम प्राण हो,हूँ मैं तो सिर्फ काया,
मैं तो सिर्फ तन हूँ,तुम हो मेरे तन का साया।

ख्वाब जो देख रहा हूँ,हो सकता है ख़ता हो मेरी,
पर क्या करूं, ये कम्बक्त दिल है, जो मानता नही मेरी।

ख्वाब है, कि तेरे इन होंठों पर सिर्फ मेरा नाम हो,
तुझसे ही सुबह हो मेरी और तुझसे ही शाम हो।

जब चलें कभी हम साथ,तुम हांथो में हाँथ लिए मुझे थाम लो,
दूर तलक साथ हो हमारा न किसी तीसरे का नामोनिशान हो,

मरना नही है मुझे तुम्हारे लिए,
ये तुम्हे मैं साफ -साफ कहना चाहता हूँ,
क्योंकि हर पल,हर एक खुशनुमा लम्हा,
इस खूबसूरत जीवन का तुम्हारे साथ जीना चाहता हूँ।

तुम मेरे जीवन का वो साज़ हो,
जिसके संगीत से मेरी हर शाम रंगीन है,
जो तुम नही, तो हों सुर और साज़ कितने भी,
हर तर्रानुम,हर नगमा,हर नज़्म अधूरी है।

आधार मेरे जीवन का हो,मेरी जीवन साथी,
तुम मेरी जीवन संगिनी हो,
कभी यूँ पीछे नहीं,हाथ थाम, हर डगर साथ चलना है मेरे,
क्योंकि तुम मेरी हमसफर हमराज़ हो,

मुझे तुम्हारे ही गले लगकर,
तुमसे तुम्हारी ही शिकायत करनी है,
और हर एक पल साथ रहकर,
तुमसे सिर्फ तुमसे ही लड़ाई करनी है।

और भले ही लाख खफ़ा हो और नाराज़ हो तुम मुझसे,
पर जब कभी भी साथ हों हम तुम,
तुमसे सिर्फ तुमसे ही दिल की हर बात करनी है।

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