Monday 22 December 2014

"स" की महिमा


"स" की महिमा

शादी व्याह के बाद हर आदमी  की  ज़िन्दगी कुछ “स-स” मय हो जाती है,जैसे अब खुद अकेले के बारे में न सोचकर "स" से "संसार" मतलब घर संसार के बारे में सोचना और जैसे वह खुद ही "ससुरालमय" हो जाता है
उसके कामो की वरीयता सूची में सबसे ऊपर "स" से शुरू होने वाले शब्द आ जाते है,जैसे "स" से ससुराल,साल,साली,सास, आदि-आदिकिसी काम को  तत्परता से करें या ना करें इनकी ड्यूटी में हमेशा अटेंशन रहते है
कभी कोई आम मेहमान घर आ जाये तो जनाब परेशानी का अनुभव करेंगे और ऐसा महसूस करेंगे जैसे पतझड़ का मौसम आ गया हो और जो उस मेहमान के साथ घर पर समय बिताने की बात आ जाये तो साल भर का सारा ऑफिसियल काम उसी समय आया हो ऐसा बता कर घर पर कम और ऑफिस पर ज्यादा समय व्यतीत करते है और पूंछने पर थके हुए स्वर में कहते है -"बहुत बिजी है और लोड बहुत है"
पर यदि "स "से ससुराल से "स" से साली साहिबा आ जाये तो मौसम में जैसे सावन की पहली फुहार पड़ गयी हो और घर में श्रीमान के लिए बसंत उत्सव आ गया हो ऐसा महसूस होता हैऔर इसी बीच काम को लेकर कोई कहे तो काम या तो पहले ही निपटा चुके थे या पोस्टपोनड किए जा चुके हैपर उस समय में कोई काम नहीं है और छुट्टी की एप्लीकेशन पहली ही दे चूके थे एडवांस में
खुद के काम कई दिनों तक टाल-मटोल होते रहेंगे लेकिन "स" से साले साहब का कोई काम हो तो चाहे दुनिया उल्टी करनी पड़े काम तो तुरंत होगा.वो कहते है ना "सारी खुदाई एक तरफ वीवी का भाई एक तरफ" लेकिन ठीक भी है साहब "जिस तरह किसी सरकार का गृहमंत्रालय सब से अहम और गृहमंत्री सबसे ख़ास होता हैउसी तरह अगर अपने घर में सुरक्षित और खुश रहना है तो गृहमंत्री 

यानी पत्नी देवी को खुश रखना जरूरी है

एक गाने की बहुत अच्छी लाइन है

"सासु तीरथ ससुरा तीरथ,तीरथ साला-साली है,दुनिया के सब तीरथ झूठे चारों धाम घरवाली है"

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                              

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