"straight from my heart";
“मिलती है
ख़ास-ओ-आम को शोहरत और ज़िल्लत भी इसी ज़मी पे,
और होती अहि
जन्नत और दोज़क भी इसी ज़मी पे,
बस
हरकतों-खुराफ़ातों को करते वक़्त याद रख ए-बंदे,
की कहीं से
कोई देख रहा है इसी ज़मी पे,
होती है
मुलमियत और ज़ुबान की कदवाहटें अलग-लग बंदों मे इसी ज़मी पे ,
मिलते नहीं
है सौदागर काही अमन-ओ-चेन के,
और बनती है
बात रंगो-बू दोनों से इसी ज़मी पे”
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