Monday 13 April 2015

“छोड़ो न यार”

“छोड़ो न यार”
ये ऐसे तीन शब्द हैं जिसे हमारे समाज के तथाकथित पडे-लिखे सभ्य लोग अक्सर अपनी कमी और कमज़ोरी को छुपाने के लिए उपयोग करते हैं ।कहीं आप भी उनमें से एक तो नहीं ? अगर जानना चाहते तो क्यों न खुद से ही आज कुछ सवाल पूछ लेते हैं । ऐसी परस्थितियाँ जो कभी ना कभी आप के हमारे सब के सामने आती ही रहती हैं । तो क्या आप तैयार हैं तो शुरू करते हैं -
कहीं किसी दिन सड़क पर जाते हुए देखते हैं कि कोई बुजुर्ग परेशान हो रहा हैं अपने बजनदार समान की वजह से या सड़क पार ना करने की वजह से,आप देखते हैं लेकिन क्या आप मदद करते हैं ? या सोचते हैं  “छोड़ो न यार”
कभी किसी बस में आप सफर कर रहे हैं और बस का कंडक्टर किसी सवारी के साथ गलत किराया ले रहा है और विरोध करने पर बत्तमीजी भी कर रहा है तो ये सब देखकर आप क्या करते हैं ? उठकर आप इस गलत व्यवहार का विरोध करते हैं या सोचते हैं  “छोड़ो न यार”
और तो और एक बात यहाँ मैं पूछना चाहता हूँ ये सवाल हर लड़के और लड़की दोनों से हैं जब आप घर से कहीं बाहर जा रहे होते हैं तो ये नज़ारा अक्सर हमारे सामने आता हैं अक्सर हम देखते हैं की कुछ बेहद ही तथाकथित पड़े-लिखे और सभ्य परिवार के लोग सड़क पर जाती हुई लड़कियों पर,कोचिंग्स में पड़ती हुई लड़कियों पर,बाजार में शॉपिंग पर जाती हुई लड़कियों पर, और कभी कभी तो ये ईश्वर के घर में भी लड़कियों पर भद्दे कोमेंट्स करने से नहीं चूकते,और शान से अपनी इस हरकत पर मज़ा लेते हैं ।
पर शायद ये भूल जाते हैं  की उनकी इस हरकत से उस महिला या उस लड़की को कितना मानसिक तनाव होता हैं ।
मेरा सवाल बड़ा साधारण हैं आप ये सब देखकर क्या करते हैं  ?
आगे बढ़कर उनकी इस हरकत का विरोध करते हैं और अपने आस-पास घर और समाज में भी इनको रोकने का प्रयास करते हैं या देखकर मुह मोड लेते हैं और कहते हैं  “छोड़ो न यार”
कृपया “छोड़ो न यार” कहना बंद करें और एक पहल करें नए बदलाव की । बदलाव उस गलत व्यवहार के विरोध में जो लोग अक्सर करते हैं ,और विरोध न होने पर उनकी हिम्मत बढती चली जाती हैं  
याद रखिए आज जो गलत व्यवहार किसी और के साथ हो रहा है,जिसे आप देखकर भी कह रहे हैं  “छोड़ो न यार” कल कहीं आप भी इसी के शिकार न हो जाएँ और कोई और आपकी मदद को ना आकार कह रहा हो “छोड़ो न यार”


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