Thursday 14 May 2020

“सुंदरकाण्ड-एक पथप्रदर्शक रस सरिता” ***रस प्रवाह क्र॰-7***

सुंदरकाण्ड-एक पथप्रदर्शक रस सरिता

 ***रस प्रवाह क्र॰-7***
प्रसंग: विभीषण का हनुमान जी से अपनी मनः स्थिति बताना-

सुनहु पवनसुत रहनि हमारी। जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी ॥

तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा। करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥1॥

भावार्थ : (विभीषणजी ने कहा-) हे पवनपुत्र! मेरी रहनी सुनो। मैं यहाँ वैसे ही रहता हूँ जैसे दाँतों के बीच में बेचारी जीभ। हे तात! मुझे अनाथ जानकर सूर्यकुल के नाथ श्री रामचंद्रजी क्या कभी मुझ पर कृपा करेंगे?॥1॥

विभीषण बताते हैं,कि वह भगवान राम से प्रेम करते हैं,और उनका अनुशरण करते हैं,भले ही वह राक्षसों के बीच रहते हैं।जैसे एक जीभ नरम और कोमल होती है,हालांकि वह कठोर और मजबूत दांतों से घिरी होती हैवैसे ही वह राक्षसों के बीच रहते हुए भी प्रभु का प्यार और पालन कर रहे है।विभीषण द्वारा कही गयी ये बाते भले ही साधारण और उपमाओं से भरी लगे,लेकिन आम जन समुदाय के जीवन में बहुत अर्थ रखती है,ये हमें सभी समस्याआओं से घिरे रहते हुये भी निर्मल भाव से सद्मार्ग का पालन करने के में मदद करती है।                
और हमें तीन चीज़ें सिखाती है-
v यह आपके कर्म है,जो आपके व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं,जो आप हैं,ना की आपकी संगति।
v आपकी संगति आपके व्यक्तित्व पर सिर्फ तभी असर डाल सकती है, जब आप ऐसा होने देते हैं।
v कोई भी आपको गुमराह नहीं कर सकता या आपको गलत रास्ते पर नहीं ले जा सकता जब तक कि आप उन्हें ऐसा करने देने की अनुमति नहीं देते हैं।

   NOTE:
  v  यहाँ लिखा गया हर एक शब्द सिर्फ एक सूक्ष्म वर्णन है “सुंदरकाण्ड” का सम्पूर्ण नही,यह एक कोशिश है,उस अनुभव को सांझा करने की जो “सुंदरकाण्ड” से मैंने महसूस करे।अगर कुछ त्रुटि हो गयी हो तो कृपया कमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताए।मैं फिर यह कहना चाहता हूँ,यह धर्म या संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नहीं है,लेकिन यहां सांझा किया गए “सुंदरकाण्ड” के सबक और उनकी शिक्षा सभी मनुष्यों के लिए उपयोगी हो सकते हैं,चाहे वह किसी भी धर्मजाति या धर्म के हों।

2 comments:

  1. रामायण और उसके समस्त चरित्रो का अगर अनुशरण किया जाऐ तो यह हमे सिखाती है की जीवन मे किन विपरीत परिस्थितियो मै भी मानव अवसर तलाश कर अपने व्यक्तित्व मे कीर्ति ला सकता है
    आपका यह प्रयास बडा ही हर्ष का विषय है
    निःस्वार्थ भाव से किया गया यह प्रयास आपकी कार्यकुशलता का परीसीमा को परिभाषित करता है
    मै आपके प्रत्येक विलोग का ह्दय से अनुशरण करता हू ।
    धन्यवाद

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    1. रामायण जीवन में रोशनी की तरह है जो हमें सही रास्ते पर चलना सिखाती है। और आप इसका अनुशरण कर रहे है बहुत ही बड़िया बात है।

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