Monday 4 May 2020

“मानसिक उपवास”-आपके अपने मन के लिए


मानसिक उपवास”-आपके अपने मन के लिए



कहते हैं एक स्वस्थ शरीर को बनाने में आहार का बहुत बड़ा योगदान होता है,और उसके साथ-साथ यह भी कहा गया है,की हमें इस body mechanism को सही चलाने के लिए,कभी-कभी आराम भी देना चाहिए,इसीलिए कई experts सलाह देते है,कि कम से कम 15 दिन में एक बार हर किसी को अपने पेट और पाचंतन्त्र को आराम देना चाहिए,मतलब एक बार उपवास जरूर रखना चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे किसी engine को लगातार काम में लेने से वह गरम होकर खराब भी हो सकता है,इसीलिए कभी-कभी उसे थोड़ी देर के लिए बंद भी कर देना चाहिए। दुनिया में हर सिस्टम कुछ time का shutdown period चाहता है। ये बातें कोई नयी नही है,जो आज यहाँ मैं  लिख रहा हूँ,पर इस lockdown period ने मुझे एक बहुत ही important system को भी shutdown period की कितनी जरूरत होती है,इसके बारे में एहसास कराया। एहसास इसीलिए कह रहा हूँ,क्योंकि शायद मैं  खुद भी उस system पर ज्यातती करते हुये,super extra-efficiency से काम निकलवा रहा हूँ,न एक पल का आराम,ना कोई अल्पविराम,मेरा वो system भी अब गरम हो रहा है, और कभी-कभी malfunctioning करने लगता है। और इस सब उठा पटक ने मुझे उस system को आराम देने की तरफ ध्यान दिलाया। लेकिन आराम दूँ कैसे ? क्योंकि अगर उसने काम करना बंद कर दिया,तो मैं कैसे चलूँगा,क्या बोलूँगा,क्या समझूँगा,क्या जानूँगा ? यह सब सवाल भी साथ खड़े हो गए। इसके आगे की मैं कुछ और कहूँ,बता तो दूँ,वो ऐसा कौन-सा सिस्टम है ? जिसके बिना मैं,मैं ही क्यों हर कोई,चाहे आप हो या आपका दोस्त या आपका दुश्मन ही क्यों न हो,काम नही कर सकते। वो important system है,हमारा “मन”,यही है वो जो हर signal का generating unit है,आज मेरा मन ये खाने का हो रहा है, आज ये गाना गाने का मन है,सुनने का मन है, कहीं जाने का मन है, मिलने का मन है, देखने का मन है,करने का मन है,सब कुछ जो हम करते है,या करना चाहते हैं,वो मन” के signal पर ही तो depend करते है। दरअसल body या शरीर कैसा respond करेगा वो हमारे मन के positive और negative signal पर ही depend करता है,जैसे किसी काम,जगह या व्यक्ति को लेकर मन ने positive signal दिया तो इसका मतलब हम कहते है,खुश होकर की ये करने का मन है या ये मेरे मन का काम है,और इसका उलट यदि मन ने negative सिग्नल दिया,तो हमारा sentence change हो जाता है;ये करने का मन नही है या ये मेरे मन का काम नही है। ये सब calculation करने के बाद लगा की मन” को यदि shutdown mode में नही ले जा सकते,तो आराम कैसे दिया जाए। तभी खयाल आया जैसे digestion system को आराम देने के लिए उपवास रखते हैं,वैसे ही क्यों न मन को मानसिक उपवास पर रखा जाए कुछ समय के लिए, इस मानसिक उपवास के दौरान मन में कोई विचार नही लाये,कोई process न होने दें complete zero रखे।ये complete zero एक शांति की तरह है,जो खुद को खुद से मिलने और समझने का मौका देता है,जब कोई और विचार मन में न लाएँ तो एक बार आपने अंदर झांक कर देंखे। इसके लिए कोई दरवाजा खोलने की जरूरत नही है,बस जरा से  self analysis की जरूरत है।और यह मौका हमें तभी मिलता है,जब कोई और काम न चल रहा हो,“मन में कोई और विचार न आ रहे हो,किसी और का कोई काम न हो उस समय। मानसिक उपवास सिर्फ आप और आपके मनके बीच चल रही बातचीत का दौर है। जिसमें कोई विचार नही है,विचार शून्य है मन, यही वो समय है,जब आप अपनी हर बात को अच्छे से गहराई से समझ सकते है,न ही की profit का जिक्र होगा,न ही किसी loss का,हर बात सिर्फ आपकी ही होगी। यही वो समय होता है,जब आप खुद अपने मन के अंदर झांक कर उसकी maintenance process को complete करना शुरू करते है,कुछ बुरे विचार का कचरा हटाया जाता है,कुछ बुरी यादें मिटाई जाती है,कुछ जगह नए और अच्छे विचारों के लिए बनाई जाती है,कुछ सफाई की जाती है,तो कुछ parts की बदली की जाती है,सभी parts को चका-चक करके मन को तैयार किया जाता है ताकि फिर लगातार चलने वाले सफर पर काम पर लग सके। लेकिन इस बार जब मानसिक उपवास के बाद मनकाम पर लगेग,तब उसकी चाल पिछली बार से ज्यादा smooth होगी और ज्यादा खुशी और मजेदार तरीके से काम को पूरा करेगा। क्योंकि इस बार आपने मानसिक उपवास के दौरान उसका maintenance जो कर दिया है, पर किया क्या ऐसा जो maintenance हो गया,इस मानसिक उपवास् के दौरान आपने मन से कुछ बातें की,कि वो क्या है ? आप क्या है ? क्या कर रहा है ? और आप क्या चाहते है उससे ? इस संवाद से मन का मैल साफ हो गया,असल में वो मन का मैल नही था,वो आपका मैल था। हम लोग इस ज़िंदगी के track पर बस दौड़े जा रहे हैं,जो कभी कोई पूछ ले की ज़रा ठहरिए जनाब,कहा जा रहे हैं ? तो शायद खुद को ना पता हो की क्यों दौड़ रहे हैं,कहाँ जाकर रुकेगा ये सफर। ये सफर किस मंज़िल पर जाकर रुकेगा उसी मंज़िल का पता लगाने के लिए ही इस मानसिक उपवास की जरूरत होती है। इसी उपवास के समय आप को आपकी मंज़िल का रास्ता,और पता दोनों को जानने और समझने का मौका मिलता है। मैं तो करता हूँ मानसिक उपवास”,जब भी लगता है कि मन नाम की machine अब गरम हो रही है,अरे तभी तो आज आपके साथ इस मानसिक उपवास कथा को कह सका।तो कभी आप भी करके देखिये मानसिक उपवास अपने मन का maintenance और खुद की खुद से बात,फिर refresh कर नए रास्ते पर,नई मंज़िल की ओर,सफर पर बड़ चलिये। क्योंकि रुकना और थकना मना है,चाहे आपका हो या मन का....................... ।  

14 comments:

  1. Bilkul sahi kaha bhaiya aapne......
    We will try

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  2. ,,���� Ha bilkul sir mai jarur krunga

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  3. प्रिय संयोग,

    धाराप्रवाह, मानसिक विराम, आराम, और पुनरुर्जित होकर फिर काम के महत्व को दर्शाता आलेख अच्छा लगा। व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से अल्पकाल का विराम आवश्यक है। प्रतिदिन इसका अभयास करें, रविवार को मोबाइल स्विच ऑफ कर इस विराम को प्रभावी कर सकते हैं। सप्ताह में एक अच्छी पुस्तक का अध्य्यन करने की आदत मानसिक खुराक का काम कर सकती है।

    तो संयोग लिखते रहो, क्योकि ये जरूरी है, उपयोगी है, उनके लिए जो सही रास्ता खोज रहे हैं।

    सामाजिक अंधविश्वास उन्मूलन, रीति परम्पराओं में नवीनता, सोच में सुधार, की आवश्यक्ता है। इस पर भी लेखन का प्रयास करना।
    आपको मंगलमय जीवन की अनन्त शुभकामनाएं।

    राकेश कुमार चढ़ार,
    सहायक कुलसचिव
    अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा मध्य प्रदेश

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    1. respected sir aapke in anmol shabdon ke liye bahut bahut dhanywaad.

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  4. बहुत सटीक, मानसिक उपवास से चित्त और वृत्ति दोनों को स्वस्थ बनाने हेतु आवश्यक है।

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  5. भाई ये बात सही में बहुत काम की है जैसे रामानंद सागर ने रामायण दिखाकर धर्म का पालन करना सिखाया वैसे ही तुमने खुद के मन से बात करना सिखाया जो कि अगर हम सब करे तो आसानी से अपने अंदर के व्यक्ति को पहचान कर शांति धारण कर सकते हैं और खुद पर नियंत्रण कर सकते हैं।

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    1. thanks a lot mradul aapke is review ke liye.

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  6. Sir, ye m dusri bar padi or ab comment karne se ni rok pai....apne jo likha esa lga mere hi man ki bat ho ...bhut satik or saral likha hua h ...man ek vichlit prani h isko control kar lia to hum kuch v kar sakte h...apke lekh se v bhut acha sabak mila h...

    Thanx alot sir😊🙏

    U r always great & my fav☺

    All the very best👍💐

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    1. bahut bahut aabhaar aapke is review aur shubhkaamnao ke liye.

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  7. आज के एजुकेशन सिस्टम और मेन्टल लेवल के हिसाब से ठीक है क्योंकि ज्ञान का अभाव है। उदहारण के लिये बात मन की है और विचार शून्य दिमाग से होता है। समय मिले तो दूरदर्शन पे उपनिषद गंगा जरूर देखें रात्रि 10 बजे से आता है। मन को जानना चाहते है तो कॉल करले बता दूंगा शरीर मे कहा होता है और कैसे उसको कंट्रोल करें। जितना लिखा जाना था सब 1000 साल पहले लिखा जा चुका है। तब वह जाग्रत अवस्था मे था सब सुसुप्त अवस्था मे है जो जैसा समझ पाता है व्यक्त करता है। आपको एक वीडियो भेज रहा हु सामान्य से है लेकिन सार्थकता है।

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